शीर्षक – होली
ना दिखाओ ज्यादा परेशानियां
उलझाओ ना खुद को नयी जंगों में।
आया फागुन का मौसम है
रंग जाओ तुम भी इस साल रंगों में।
पिचकारी रंग से भरी हुई है
हाथ भी रंग में डूबे हैं
प्यार का रंग घोल दो
अब अपने दिल के लहर तरंगों में।
रंग जाओ तुम भी इस साल रंगों में।
दुनियादारी में बस
उलझे ना रहो
दोस्त बन जाओ तुम
सभी के
मिल जाओ होली के
उमंगों में।
रंग जाओ तुम भी इस साल होली के रंगों में।
खुल के रंग लगाओ सबको
सपनों को उड़ने दो आसमान के पतंगों में।
रंग जाओ तुम भी इस साल होली के रंगों में
सारे रंग बुलाये तुमको
गिले शिकवे सब भूलाकर
भर लो अपने अंगों में।
रंग जाओ तुम भी इस साल होली के रंगों में।
इस होली मे बनकर मोहन
आ जाना तुम बरसाने में
राधा सी मैं मोहित होकर
मिलूँगी किसी बहाने से
भ्रमित करेंगी मेरी सखियाँ
तुम्हें अपने अपने वाण व्यंगों में।
रंग जाओ तुम इस साल होली के रंगों में।
अपराजिता रंजना
पटना (बिहार)