करोड़ों रुपये के ‘कौशल विकास’ मामले की जांच पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू तक पहुंची
अमरावती। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू 2019 के विधानसभा चुनावों में सत्ता गंवाने के बाद करोड़ों रुपये के कौशल विकास केंद्रों को लेकर पिछले दो साल से जांच के घेरे में थे।
नायडू को शनिवार को गिरफ्तार किया गया। यह मामला मुख्यमंत्री के रूप में नायडू के कार्यकाल के दौरान 2015 और 2019 के बीच उत्कृष्टता केंद्र और पांच तकनीकी कौशल विकास केंद्रों की स्थापना के समय धन के कथित दुरुपयोग से जुड़ा है।
राज्य सरकार ने कौशल विकास केंद्र स्थापित करने के लिए सीमेंस इंडस्ट्रियल सॉफ्टवेयर इंडिया और डिजाइन टेक सिस्टम्स के साथ एक समझौता किया था। निजी संस्थानों को केंद्र स्थापित करने और कौशल विकास कार्यक्रम संचालित करने के लिए 90 प्रतिशत धनराशि का योगदान करना था और शेष 10 प्रतिशत राज्य सरकार को देना था।
वर्ष 2019 के बाद युवाजन श्रमिक रायथु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) नीत सरकार द्वारा इन केंद्रों की स्थापना में निजी कंपनियों और पिछली सरकार की भूमिका की आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा जांच शुरू की गई थी।
सीआईडी जांच में पाया गया कि निजी संस्थानों ने कथित तौर पर लागत का अपना हिस्सा खर्च नहीं किया, जबकि राज्य सरकार की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी – लगभग 371 करोड़ रुपये का कथित तौर पर दुरुपयोग किया गया। मार्च में सीमेंस इंडस्ट्रियल सॉफ्टवेयर के एक पूर्व कर्मचारी पर मुकदमा चलाते समय सीआईडी के बयान में यह कहा गया था।
जांच अधिकारियों के अनुसार, सीमेंस इंडस्ट्रियल सॉफ्टवेयर के पूर्व कर्मचारी जीवीएस भास्कर ने राज्य सरकार द्वारा जारी 371 करोड़ रुपये में से 200 करोड़ रुपये से अधिक का ‘मार्जिन’ रखते हुए बढ़ा चढ़ाकर कथित तौर पर एक फर्जी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की थी।
अधिकारियों के अनुसार, उन्होंने कथित तौर पर परियोजना का मूल्यांकन 3,300 करोड़ रुपये तक बढ़ा-चढ़ाकर बताया, जिसमें सीमेंस इंडस्ट्रियल सॉफ्टवेयर इंडिया और डिजाइन टेक सिस्टम्स शामिल थी।
हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि सीमेंस इंडस्ट्रियल सॉफ्टवेयर इंडिया के सॉफ्टवेयर की वास्तविक लागत केवल 58 करोड़ रुपये थी। सीमेंस इंडस्ट्रियल सॉफ्टवेयर इंडिया के तत्कालीन एमडी सुमन बोस और डिजाइन टेक सिस्टम्स के एमडी विकास विनायक खानवेलकर ने कथित तौर पर 2014-15 में इस परियोजना के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नायडू से मुलाकात की थी।
यह आरोप लगाया गया कि राज्य सरकार के पूर्व विशेष सचिव गंता सुब्बा राव और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी के लक्ष्मीनारायण ने कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीआईडी ने लक्ष्मीनारायण की पहचान नायडू के करीबी सहयोगी के रूप में की।
सीआईडी अधिकारियों ने दावा किया कि हेराफेरी का पैसा एलाइड कंप्यूटर्स (60 करोड़ रुपये), स्किलर्स इंडिया, नॉलेज पोडियम, कैडेंस पार्टनर्स और ईटीए ग्रीन्स जैसी कागजी कंपनियों में लगाया गया था।
खबरों के मुताबिक, पूर्व वित्त सचिव के सुनीता ने कोष जारी करने पर आपत्ति जताई थी, लेकिन वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने उनकी बात को खारिज कर दिया। जब सीआईडी ने सीमेंस के जर्मन मुख्यालय से संपर्क किया, तो कंपनी ने स्पष्ट किया कि सीमेंस इंडस्ट्रियल सॉफ्टवेयर इंडिया के पूर्व प्रबंध निदेशक बोस ने अपनी इच्छा से काम किया था, जिसके परिणामस्वरूप उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं।
नायडू को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की प्रासंगिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है, जिसमें धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी) और 465 (जालसाजी) शामिल हैं। आंध्र प्रदेश सीआईडी ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी आरोप लगाए हैं।
इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मार्च में सीमेंस इंडस्ट्रियल सॉफ्टवेयर इंडिया के पूर्व प्रबंध निदेशक बोस और डिजाइन टेक सिस्टम्स के प्रबंध निदेशक खानवेलकर को कथित धन शोधन, धन की हेराफेरी, दुरुपयोग के आरोप में गिरफ्तार किया था, जो कौशल विकास मामले से जुड़ा हुआ है।