यौनकर्मियों को राशन मुहैया कराने को लेकर दिए गए निर्देश का पालन न करने पर कोर्ट ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि गरिमा का अधिकार एक मौलिक हक़ है जो देश के प्रत्येक नागरिक को उसके व्यवसाय की परवाह किए बिना दिया जाना चाहिए.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को कहा कि मूल अधिकार प्रत्येक नागरिक को प्रदत्त है, चाहे उसका पेशा कुछ भी हो. इसके साथ ही न्यायालय ने केंद्र, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यौनकर्मियों (सेक्स वर्कर्स) को मतदाता पहचान पत्र, आधार और राशन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया फौरन शुरू करने तथा उन्हें राशन मुहैया करना जारी रखने का निर्देश दिया.
शीर्ष अदालत ने गैर सरकारी संगठन ‘दरबार महिला समन्वय समिति’ की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया. याचिका में कोविड-19 महामारी के चलते यौनकर्मियों को पेश आ रही समस्याओं को उठाया गया है.
न्यायालय उनके कल्याण के लिए आदेश जारी करता रहा है और पिछले साल 29 सितंबर को केंद्र तथा अन्य को उनसे (यौनकर्मियों से) पहचान सबूत मांगे बगैर उन्हें राशन मुहैया करने का निर्देश दिया था.