“महिलाओं को अपने सशक्तिकरण के दिखावे के लिए किसी खास दिन की ज़रूरत नहीं” – राजलाल सिंह पटेल
झारखण्ड : महिलाओं पर हो रहे अत्याचार एवं अपराध की घटना को रोकने के लिए हम सभी को आगे बढ़कर और एक सकारात्मक सोच के साथ उनके सुरक्षा को गम्भीरता पूर्वक जिम्मेदारी लेने की जरूरत है उपरोक्त बातें एन्टी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी के संस्थापक राजलाल सिंह पटेल ने संस्था के झारखण्ड प्रदेश कमिटी महिला सेल एवं राँची जिला महिला सेल कमिटी द्वारा राँची शहर के कोकड़ स्थित इंद्रप्रस्थ फिरायालाल उत्सव भवन में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर नारी सुरक्षा सम्मान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को भी अपने विचारों में बदलाव लाने की जरूरत है कहीं न कहीं एक महिला के वजह से ही दूसरी महिला घरेलू हिंसा की शिकार होती है कहीं बहु के रूप में तो कहीं सास के रूप में तो कहीं भाभी के रूप में तो ननद के रूप में इतना ही नहीं कहीं सौतन की वजह से इसलिए महिलाओं को भी महिला अपराध की घटना को रोकने के लिए आगे आने की जरूरत है और जागरूकता अभियान कार्यक्रम के तहत लोगों के घिनौने सोच को बदलने की जरूरत है ।
साइबर अपराध के कारण भी महिलाएं हो रही है प्रताड़ित
वहीं उक्त कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्था के साइबर क्राइम कंट्रोल सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आकाश शर्मा ने कहा कि सरकार की साइबर सेल में साइबर अपराध के एक्सपर्ट की कमी रहने के कारण वर्तमान परिवेश में विभिन्न सोशल साइट्स की शिकार महिलाएं हो रही है जो साइबर अपराध है सरकार को राज्य के सभी थानों में तकनीकी सेल बनानी चाहिए और पीड़ित की शिकायत प्राप्त होते ही तकनीकी सेल के मदद से साइबर अपराध की घटना को तत्काल प्रभाव से रोकने की जरूरत है ।
कार्यक्रम में एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी के संस्थापक राजलाल सिंह पटेल ने कहा मार्च यानि महिला दिवस! फिर चलो महिलाओं के लिए कुछ अच्छे-अच्छे कोट्स ढूंढते हैं, जो महिलाओं के त्याग, समर्पण और प्रेम की कहानी बयां करें, क्यों ना कुछ ऐसा ढूंढा जाए, जो बताए कि एक महिला सब कुछ कर सकती है। वह पुरुष की तरह ऑफिस जाकर नाइन-टू-फाइव वर्क भी कर सकती है, साथ ही अपने परिवार को भी बैलेंस में रख सकती है और अगर एक सिंगल मदर या डिवोर्सी है, तो अकेले अपने दम पर पूरी दुनिया से लड़ भी सकती है।
अच्छा, भूलो मत देवी के नौ रूप होते हैं यानि एक महिला में उतनी ही शक्ति है जितनी नौ देवियों में या शायद उतनी ही एकनिष्ठता की, वो सिद्धार्थ के गौतम बुद्ध बनने तक खड़ी रहे और भी कितने हज़ारों नाम यहां लिए जा सकते हैं बल्कि हमारे इर्दगिर्द ऐसी कई कहानियां हैं, जिनमें हम रोज़ ऐसा होते देखते हैं।
जहां एक महिला एक ही समय पर परफेक्ट प्रोफेशनलिस्ट है और पारिवारिक बहु/बेटी भी! एक अच्छी पत्नी, एक अच्छी बॉस भी आप कहेंगे अरे! मैं तो महिला दिवस पर महिलाओं की तारीफों के कसीदे पढ़ने लगी लेकिन यकीन मानिए मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है।
सच कहूं मुझे इस परफेक्ट के सांचे से ही चिढ़ है, क्यों किसी लड़की को एक अच्छी बॉस होने के साथ ही एक अच्छी बहु होना भी ज़रूरी है, क्यों? और मुझे समझ में नहीं आता है कि जब एक पुरुष, चाहे वो पिता, प्रेमी, भाई कुछ भी हो, जब वो कहता है कि वो चाहे सूट पहने या शॉर्ट्स, हमें सब पहनने की आज़ादी है या जब कोई कहे वो कहीं भी जाए हमें उनके घूमने-फिरने से कोई परेशानी नहीं और कई बार महिलाएं भी ये बड़ी सहजता से कहतीं नज़र आती हैं कि वो जो पहनाएं, वो जहां ले जाएं लेकिन क्यों? और जिस समाज में महिलाओं को सहज़ता से कुछ पहनने का, कहीं जाने का अधिकार भी नहीं है फिर बराबरी की बात किस लिए? और बराबरी करनी भी क्यों हैं? क्या दोनों में अंतर होते हुए भी दोनों बराबर नहीं कहे जा सकते?
वहीं जैसे कि अभी पूरी दुनिया में एक अच्छी पहल या कहो जागरूकता की बात की जा रही है #Breakthebias लेकिन अगर ‘ब्रेक-द-बायस’ की हम बात करें, तब हमें पता नहीं कहां से शुरुआत करनी होगी? क्योंकि पता नहीं कितनी ज़ंजीरों से लड़कियों को बांधकर कहा जाता है, अब उड़ो पंख है तुम्हारे, आज़ाद हो तुम!
जब हम सदियों से सुनते आ रहे हैं “सीता को लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए था” यानि अब तुम (कोई भी महिला) रेखा से बाहर निकलने की कोशिश मत करना।
सुनो! एक स्त्री के हंसने पर महाभारत का युद्ध हुआ था मतलब अब तुम ज़ोर से मत हंसना और ऐसी कितनी ही कहानियां हैं, जो एक महिला के रंग, रूप, चरित्र, बोलने पर बनी हुई हैं। हम बचपन से ही जिन्हें सुनने के आदी हैं और ऐसे ही हमें खुद भी नहीं पता हमने कब मान लिया है कि लड़कियों को मर्यादा में रखो, कम बोलने दो वगैरह ! वगैरह जबकि ऐसा नहीं है बल्कि हमारे धर्मग्रन्थों में तो महिला सशक्तिकरण की ही कहानियां हैं मगर हमने एक समाज के तौर पर उन्हें कुरूतियों की तरह प्रचलित कर दिया है, तो सबसे पहले यही बायस (Bias) हैं, जिनका टूटना ज़रूरी है।
वहीं, जब हम बचपन में कहानियां सुना करते थे, तो एक अच्छी लड़की हमेशा सुंदर और गोरी हुआ करती थी, जो सबका ख़्याल रखे और एक बुरी लड़की हमेशा काली, भद्दी और बदसूरत! जिसे किसी की परवाह नहीं, तो हमने मान लिया जो इसके विपरीत है, वो सही हो ही नहीं सकता मगर इसे ब्रेक किया जाना उतना मुश्किल भी नहीं है बस हमें उन बने बनाए सांचों से बाहर निकलना होगा यानि इसकी जड़ों में जाना होगा कि क्यों एक स्त्री-पुरुष के तौर पर हमने अपने-अपने अधिकार क्षेत्र चुन लिए हैं और यह मान लिया है कि इनसे निकलना अब हमारे बस का नहीं है।
उदाहरण के तौर पर जब एक 4 साल का बच्चा पिता को काम पर जाते देखता है और माँ को उसके परिवार की देखभाल करते खाना पकाते, तब ये बात वो आसानी से ग्रहण लेता है कि एक लड़के-लड़की के भूगोल का यही अंतर है और यूं भी इतिहास में कोई खास दिन मनाए जाने के लिए कम उस दिन का अस्तित्व बचाए जाने के लिए ज़्यादा मनाए जाते हैं, तो क्या महिलाओं को बचाया जाना ज़रूरी है?
मगर एक महिला तो समूची पृथ्वी की रीढ़ है, उसे उसके अधिकारों को बचाए रखने की ज़रूरत क्यों पड़ी? ये सोचने का विषय हैऔर जिस दिन हम यह समझ लेंगे उस दिन कुछ भी बचाया जाना ज़रूरी नहीं बचेगा और यूं भी मुझे सबसे ज़्यादा इस सांचे से चिढ़ है कि कैसे दोनों को बराबर कर दिया जाए मतलब एक महिला, पुरुष के बराबर है या कैसे एक महिला एक पुरुष की अपेक्षा ज़्यादा सहनशील, ज़्यादा कर्तव्यनिष्ठ है भला क्यों? इसकी ज़रूरत ही क्यों है?
एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी के संस्थापक राजलाल सिंह पटेल ने कहा कि महिलाएं देश की आधी आबादी है, इनका विकास में सहभागी होना जरूरी है। संस्था के मीडिया सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन जैन पदमावत ने सभी नारी शक्तियों को बधाई दी।
इन्होंने किया संबोधन
संस्था के युवा सेल राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रिंस पटेल, साइबर सेल राष्ट्रीय सचिव आकाश कुमार, गौरव राज, राजीव रंजन, झारखण्ड प्रदेश महिला सेल सचिव श्रीमती शीतल वर्मा, श्रीमती अन्नू उर्फ मुस्कान पाठक, शिवानी सोनल, श्रीमती तन्द्रा मुखर्जी, मधु तिर्की, अंजू कुमारी सहित अन्य पदाधिकारियों ने संबोधित किया ।
वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता राँची जिला महिला सेल जिला अध्यक्ष शिल्पी कुमारी एवं कार्यक्रम का संचालन राँची जिला महिला सेल जिला सचिव बेबी गाड़ी द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का समापन आकाश शर्मा द्वारा नारी सुरक्षा सम्मान पत्र देकर किया गया।